Dhak Dhak (Re Banjara) Lyrics – Sunidhi Chauhan | Title Track

Dhak Dhak (Re Banjara) Lyrics

Bulleh Shah Aithe Sab Musafir
Kise Na Aithe Rehna
Aapo Apni Vaat Mukka Ke
Sab Nu Muddna Paina

Sab Nu Muddna Paina
Ho Sab Nu Muddna Paina

Bairagi Raag Na Jaane
Mann Mann Ko Na Pehchane
Dar Dar Bhatke Tu Kyun Pyara

Kadmon Mein Tere Jahaan Hai
Phir Kya Tu Dhoondh Raha Hai
Tere Sang Chalta Hai
Khud Khudara

Befikri Mere Bandeya
Pankh Khol Udd Ja
Mutthi Mein Tere Aasmaan

Beh Chal Nadiyon Sa Tu
Tu Hawa Se Haath Mila
Tu Khud Se Aage Badh Chala

Re Banjara Ho Beparwah
Re Banjara Dikha Parvaaz
Re Banjara Tu Rabb Ka Taaj
Re Banjara

Re Banjara Ho Beparwah
Re Banjara Dikha Parvaaz
Re Banjara Tu Rabb Ka Taaj
Re Banjara

Padh Padh Aalam Fazal Hoyeyon
Kade Apne Aap Nu Padheya Hi Nai
Ja Ja Wadh’de Mandeer Masjeed Taan
Kade Mann Apne Vich Wadheya Hi Nai
Kade Mann Apne Vich Wadheya Hi Nai

Ho.. Hathon Ki Teri Lakeerein
Tujhe Hi Taak Rahe
Kismat Apni Khud Se Likh Ja

Zid Kar Le Parvat Bhi
Tere Aage Jhukk Jayega
Tujhmein Basta Hai Yeh Jahaan

Re Banjara Ho Beparwah
Re Banjara Dikha Parvaaz
Re Banjara Tu Rabb Ka Taaj
Re Banjara

Re Banjara Ho Beparwah
Re Banjara Dikha Parvaaz
Re Banjara Tu Rabb Ka Taaj
Re Banjara

Re Banjara Ho Beparwah
Re Banjara Dikha Parvaaz
Re Banjara Tu Rabb Ka Taaj
Re Banjara

Re Banjara Ho Beparwah
Re Banjara Dikha Parvaaz
Re Banjara Tu Rabb Ka Taaj
Re Banjara

धक धक (रे बंजारा) Lyrics In Hindi

बुल्ले शाह एथे सब मुसाफिर
किसे ना एथे रहना
आपो अपनी वाट मुक्का के
सब नु मुड़ना पैना

सब नु मुड़ना पैना
हो सब नु मुड़ना पैना

बैरागी राग ना जाने
मन मन को ना पहचाने
दर दर भटके तू क्यूँ प्यारा

कदमों में तेरे जहाँ है
फिर क्या तू ढूंढ रहा है
तेरे संग चलता है
खुद खुदारा

बेफिकरी मेरे बंदेया
पंख खोल उड़ जा
मुठ्ठी में तेरे आसमान

बह चल नदियों सा तू
तू हवा से हाथ मिला
तू खुद से आगे बढ़ चला

रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का ताज
रे बंजारा

रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का ताज
रे बंजारा

पढ़ पढ़ आलम फ़ज़ल होएयों
कदे अपने आप नू पढ़ेया ही नई
जा जा वढ़दे मंदिर मस्जिद ताँ
कदे मन अपने विच वढ़ेया ही नई
कदे मन अपने विच वढ़ेया ही नई

हो.. हाथों की तेरी लकीरें
तुझे ही ताक रहे
क़िस्मत अपनी खुद से लिख जा

ज़िद करले पर्वत भी
तेरे आगे झुक जाएगा
तुझमें बस्ता है ये जहाँ

रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का ताज
रे बंजारा

रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का ताज
रे बंजारा

रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का ताज
रे बंजारा

रे बंजारा हो बेपरवाह
रे बंजारा दिखा परवाज़
रे बंजारा तू रब का ताज
रे बंजारा

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